14.8.08

आज़ादी

दीवारें उगी हैं...ऊंची ऊंची..
बाहर भीतर.....चारो ओर,
दिल पर,आत्मा पर,सोच पर....
आज १५ अगस्त है...
मैं आजाद क्यों नहीं हुई?

3 comments:

डाॅ रामजी गिरि said...

*दीवारें उगी हैं...ऊंची ऊंची..
बाहर भीतर.....चारो ओर,*

एक संवेदनशील भारतीय की व्यथा साफ दिखती है आपकी इन दीवारों के आईने में कैद रूह-सी...

Roopesh Singhare said...

too good...!!!

Dr. Madhuri Lata Pandey (इला) said...

short n sweet....chhoti magar sateek!!

-Madhuri