17.6.08

अनुभव....


जब आंसू मोती बन जायें
और दुःख पार कर ले
अपनी अन्तिम सीमा को ,
उमड़ती हुई भावनायें
जब रूप लेलें
स्याह बादलों का ,
जब अनसुलझे से रहस्य
खोलने लगे अपने पटल
और बुझी हुई आशाएं
पुनः ज्वाला बन के उठें,
खोये हुए सारे स्वप्न
टूटे और बिखरे अरमान
बन जाएँ एक सागर जैसे
परिपूर्ण हों अतल गहरियों में ....
जब कामनाएं सुगन्धित हो जायें
खिलकर कलियों की तरह
पर काँटों से रहित नहीं.....
भूले हुए से कुछ अनुभव
पुनः याद आने लगें
और दिखने लगें नई राहें,
जब लडखडाते कदम
बढ़ते ही जाएँ
बिना किसी आलंबन के.......
समझ लेना तब तुम
शक्ति पुंज संचित होने लगा है
तुम्हारे मन मस्तिष्क में,
आत्म बल परिपूर्ण है
चरम उत्साह से,
यही तो वो क्षण है....
जब प्रारम्भ करनी है तुम्हे
एक अनंत यात्रा...
बढ़ा लो कदम
उसी और दृढ़ता से
जहाँ प्रतीक्षा कर रही है
मंजिल तुम्हारी.........!!






1 comment:

Passion for Development said...

Jindgi ki sachchaee ko shabdon me utarne ka isase achcha prayas sayad mujhe yahi dikha......

agar ye aur sabhi likhi huee rachna aapki apni hai to sayad mujhe khushi hogi ki main achchhe rachna ki talaash me kitabon ke bhid me bhatkane ke wazay yahan hi aa jaya karoon............