बात में कोई न कोई असर तो होता है...
भले ही जान ले दुनिया हमारा हाल-ऐ-दिल,
हमारे अश्कों से कोई बेखबर तो होता है...
साथ हो सकता है बेशक ज़िन्दगी भर के लिए,
साँस टूट जाने का थोड़ा सा डर तो होता है...
राहों की मुश्किलों से कौन डरता है,
साथ सबके ही कोई हमसफ़र तो होता है...
हरेक शाम विदा कहते हैं सब लोग उनका,
अपना कहने के लिए एक घर तो होता है...
जीते-जीते भला क्यों मरने लगी है भावना,
बेरुखी में भी एक धीमा ज़हर तो होता है...!!!