भावनाएं कभी मर सकती हैं भला...... वैसे लोग कोशिश तो बहुत करते हैं.....मुझे जिंदा रहने के लिए इनकी ज़रुरत हैं.....बिलकुल वैसे ही जैसे मुझे साँसों की ज़रुरत है.....अगर कविता माध्यम बन जाये इनकी अभिव्यक्ति का......तो ये कोई प्रयास नहीं.....बल्कि सहज और सरल अभिव्यक्ति है...!
11.7.08
मेरा आसमान...
मुट्ठी भर आसमान था मेरे पास... तुम्हे दे दिया था, संभालने को... लेकिन ये क्या छल किया तुमने, मेरे आसमान को कैद कर दिया... मेरे कटे पंखो,बिखरे सपनो और मेरी धूप के साथ...!
1 comment:
really its so touchy....lovely poem
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