11.7.08

मेरा आसमान...

मुट्ठी भर आसमान
था मेरे पास...
तुम्हे दे दिया था,
संभालने को...
लेकिन ये क्या छल किया तुमने,
मेरे आसमान को कैद कर दिया...
मेरे कटे पंखो,बिखरे सपनो और मेरी धूप के साथ...!

1 comment:

Keerti Vaidya said...

really its so touchy....lovely poem