जब....
नकारते हैं हम
तथ्यों को,
स्वीकारते हैं हम
भावनाओं को,
पुकारते हैं हम,
अतीत को,
धिक्कारते हैं हम
वर्तमान को....
तो क्या ये चाहत होती है,
या कुंठित इच्छाएं?
अयथार्थ की खोज
यथार्थ के विस्तार में!
अवास्तविक की पहचान,
तथ्यों की गहराई में!
क्या ये छद्म विवेक है,
या साक्षात अहम्?
जिसमे सिर्फ़ छलावा है...
और उस छलावे में॥
सत्य खोजते
'हम' !!!
13 comments:
जिसमे सिर्फ़ छलावा है...
और उस छलावे में॥
सत्य खोजते
'हम' !!!
bahut sunder kavita
achha laga padhna, visheshkar aapke shabdon kaa chayan kamaal kaa hai, likhtee rahein.
bahut sundar abhivyakti
satay ko naa khojnaa pade aisa kuch karen sundar shabdon ke liye badhai
बहुत सार्थक भाव पूर्ण रचना...बहुत बहुत बधाई...
नीरज
अच्छा लिखा है आपने । िवषय की अभिव्यक्ित प्रखर है ।
http://www.ashokvichar.blogspot.com
bouth he aacha post kiyaa aapne
visit my sites its a very nice Site and link forward 2 all friends
http://www.discobhangra.com/shayari/
its a bollywood masla
http://www.technewstime.com/
its a tech software and hardware news site
Visit plz
enjoy every time
भावुक रचना! बधाई
पुकारते हैं हम,
अतीत को,
धिक्कारते हैं हम
वर्तमान को....
बहुत अच्छा।
वर्तमान में हर्षित रहना जीने की सूक्ष्म कला है।
गत आगत की सोच में लगता जीवन एक बला है।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
वाह वाह भावबोध से परिपूर्ण रचना के लिये बधाई स्वीकारें साधुवाद
Dear Bhawana,
इस बार तो कमाल कर दिया . बहुत ही अच्छी बात , शब्दों के जरिये से दिल के भीतर समा गई . और कविता में undertone हमें एक नया thought देती है . . बहुत अच्छी रचना .. मन को छु गई ....
बहुत बहुत बधाई
विजय
Note : pls visit my blog : www.poemsofvijay.blogspot.com , इस बार कुछ नया लिखा है ,आपके comments की राह देखूंगा .
bahut hi saarthak ,bhavpoorna rachna ....
bahut hi saarthak ,bhavpoorna rachna ....
Post a Comment