29.10.08

ऐसे भी.....

न चाहतें होंगीItalic,न अरमान होंगे,
तो रास्ते शायद आसान होंगे!

न पहचान होगी कोई ज़िन्दगी की,
एहसास पत्थर से बेजान होंगे!

मंजिल को पाके भी ढूंढेंगे मंजिल,
ये आगाज़ होंगे या अंजाम होंगे!

किन-किन की बातों को अपना बनाएं,
हम ही खुद की बातों से अनजान होंगे!

तेरी शख्सियत के ही चर्चे रहेंगे,
हम गुमनाम ही थे,हम गुमनाम होंगे!

बसा लो कोई घर यहीं पर बना कर,
हम तो बस दो दिन के मेहमान होंगे!

न जाने कहाँ फिर मिलोगे हमें तुम,
बुलाना न हमको,हम बेनाम होंगे!

4.10.08

भगवान्..

भगवान् ने हमेशा मेरा विश्वास तोडा.
इसीलिए....
कभी नहीं रही मेरी आस्थाएं
उसके लिए...
एक दिन गलती से
मैंने तुम्हे भी
भगवान् मान लिया था!