भावनाएं कभी मर सकती हैं भला...... वैसे लोग कोशिश तो बहुत करते हैं.....मुझे जिंदा रहने के लिए इनकी ज़रुरत हैं.....बिलकुल वैसे ही जैसे मुझे साँसों की ज़रुरत है.....अगर कविता माध्यम बन जाये इनकी अभिव्यक्ति का......तो ये कोई प्रयास नहीं.....बल्कि सहज और सरल अभिव्यक्ति है...!
3.3.11
रास्ते.....
वक़्त बड़ा निष्ठुर है.....अमीर हो जाता है सबका सबकुछ छीन कर...पार उदास होने से तो काम नहीं चलेगा.रास्ते तो अब भी बुलाते है.मंजिलें अभी भी इंतज़ार कर रही है.चलना तो पड़ेगा ही.ठोकरों से डरकर बैठने वालों में से तो हम भी नहीं है.वक़्त अच्छा ही कब था जो कहे की आज बुरा है.सबकी अपनी ज़िन्दगी है सवारने के लिए,फिर अपनी ज़िन्दगी से इतनी नाइंसाफी क्यों.रास्ते बुला रहे है.....बस कदम बढ़ाना बाकी है.
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